Services

SOIL TESTING FACILITY

मृदा परीक्षण प्रयोगशाला: वित्तीय वर्ष 2011-12 के दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा जारी अनुदान के माध्यम से केवीके में मृदा परीक्षण लैब की स्थापना की गई थी। लैब का उद्घाटन डॉ, ए, के, सिंह, डीडीजी एजी-एक्सटेंशन, आईसीएआर, पूसा, नई दिल्ली द्वारा किया गया था। प्रयोगशाला निम्नलिखित उपकरणों और 02 मृदा परीक्षण किट से सुसज्जित है। हाल ही में भारत सरकार द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसका कारण फसलों में अत्यधिक मात्रा में किसानों द्वारा किये जा रहे रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग पर रोक लगाना एवं बिगड़ती मृदा की संरचना में सुधार करना है। इसलिए उर्वरक की खपत को नियंत्रित करने और फसलों की संभावित उपज के साथ-साथ बेहतर मिट्टी की उर्वरता तक पहुंचने के लिए यह समय की सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रयोगशाला का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण युवाओं और स्कूल छोड़ने वालों युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर रोजगार के अवसर प्रदान करना है केन्द्र पर किसानों के मिट्टी के नमूनों का विश्लेषण बहुत कम कीमत पर रुपये 10 प्रति नमूना की दर पर किया जाता है। प्रयोगशाला निम्नलिखित उपकरणों से सुसज्जित है: Rotary Shaker-01, Hot Plate-02, Digital Balance-01, Augur 75mm-02, Augur 100 mm-02, Automatic Digestion System-One Unit, Keeplus Micre Digestion System-01, Acid Neutralizer Scuber for digestion system Model-01, Shimazadu Analytical Balance-01, Remi Model R8C-01, Remi R88 Optical-01, Navyug Model no NU101-01, Navyug Model no NU127-01, Systronic type 306-01, Systronic type 117-01, Systronic type 361-01, Systronic type 128-01 and related Glassware’s and chemicals.

VERMI-COMPOST & EARTHWORM FACILITY

कृषि विज्ञान केंद्र आगरा पर 3x10 फिट आकार के 15 गढ्ढे की एक "वर्मी कंपोस्ट (कृमि खाद) प्रदर्शन ईकाई" स्थित है। जिसका उद्देश्य केन्द्र पर किसानों एवं ग्रामीण युवाओं को "कर के सीखो" के आधार पर वर्मी कंपोस्ट तैयार करने की विधि व स्वयं की ईकाई स्थापित करके रोजगार करने व जैविक खेती का प्रशिक्षण देना है। इस प्रदर्शन ईकाई में केंचुए की प्रजाति स्निया फाेटीदा (Eisenia fetida) का प्रयोग वर्मी कंपोस्ट तैयार करने में किया जा रहा है। केंद्र द्वारा तैयार वर्मी कंपोस्ट को ₹10 प्रति किग्रा की दर पर किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। वही किसानों या ग्रामीण युवाओं द्वारा अपनी वर्मी कंपोस्ट इकाई तैयार करने हेतु ₹ 200 प्रति किलोग्राम की दर पर केंचुए भी उपलब्ध करा दिया जाता है। वर्मीकम्पोस्ट ईकाई में आमतौर पर गाय भैंस के अपशिष्ट को वर्मीकम्पोस्ट नामक ह्यूमस सामग्री में परिवर्तित करने के लिए उपयोग किया जाता है। वर्मीकम्पोस्ट स्थिर, बारीक दानेदार अति उत्तम जैविक खाद है, जो इसके भौतिक रासायनिक और जैविक गुणों में सुधार करके मिट्टी की गुणवत्ता को समृद्ध करता है। यह रोपाई बढ़ाने और फसल उत्पादन के लिए अत्यधिक उपयोगी है। आज वर्मीकम्पोस्ट जैविक खेती प्रणाली में एक प्रमुख घटक के रूप में लोकप्रिय हो रहा है। वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए सामान्यतः केचुआ की कई उपयुक्त प्रजातियाँ होती हैं। Eisenia foetida (लाल केंचुआ), Eudrilus eugeniae (रात क्रॉलर), Perionyx खुदाई आदि। लेकिन लाल केंचुआ अपनी उच्च गुणन क्षमता के कारण उत्तम माना जाता है। इसमें 45-50 दिनों के भीतर कार्बनिक पदार्थ वर्मीकम्पोस्ट में परिवर्तित कर देता है। चूंकि यह एक सतह फीडर है। इसलिए यह कार्बनिक पदार्थों को शीर्ष से वर्मीकम्पोस्ट में परिवर्तित करता है। सामान्य वर्मीकम्पोस्टिंग सामग्री: - जानवरों के मलमूत्र, रसोई के कचरे, खेत के अवशेषों और वन कूड़े के रूप में उपयोग किए जाने वाले कार्बनिक कचरे को आमतौर पर खाद सामग्री के रूप में उपयोग किया जाता है। सामान्य तौर पर, पशु गोबर ज्यादातर गाय के गोबर और सूखे कटा हुआ फसल के अवशेष प्रमुख कच्चे माल हैं। फलीदार और गैर-फलीदार फसल अवशेषों का मिश्रण वर्मीकम्पोस्ट की गुणवत्ता को समृद्ध करता है। वर्मीकम्पोस्ट के रासायनिक उर्वरकों पर लाभ: - यह माइक्रोबियल आबादी को पुनर्स्थापित करता है जिसमें नाइट्रोजन फिक्सर, फॉस्फेट सॉल्युबलाइज़र आदि शामिल हैं। पौधों को प्रमुख और सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करता है। मिट्टी की बनावट और मिट्टी की जल धारण क्षमता में सुधार करता है। मिट्टी को अच्छा वातन प्रदान करता है, जिससे जड़ विकास और लाभकारी मृदा सूक्ष्मजीवों के प्रसार में सुधार होता है। पादप रोगजनकों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों के उपयोग को कम करता है। मिट्टी की संरचनात्मक स्थिरता में सुधार करता है, जिससे मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है।

INTEGRATED FARMING SYSTEM [IFS] MODEL

एकीकृत फसल प्रणाली (तालाब एवं मुर्गी पालन आधारित) कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी पर 600 स्क्वायर फीट का एक तालाब है 6 फीट गहरा तलाब स्सथित है। तलाब पर 10 x10 फिट आकार के दो जालीदार चेंबर बनाए गए हैं । एक चेंबर में जापानी बटेर 100 पक्षी (4 प्रजातियां कारी उज्जवल, कारी श्वेता, कारी सुनहरी एवं कारी ब्राउन) पल रहे हैं। इसी प्रकार दूसरे चेंबर में 100 कारी निर्भीक मुर्गी की देसी प्रजाति के चूजों का पालन किया जा रहा है। केंद्र द्वारा जापानी बटेर के अंडों की रुपए 4 प्रति अंडे की दर से बिक्री हो रही है। वहीं मुर्गी अंडों की बिक्री आगामी 2- 3 माह में शुरू की जाएगी। तालाब में इस समय रोहू, कतला, नैन मछली की 2.5 हजार से अधिक मात्रा मौजूद है।

SEED PROCESSING DEMOSTRATION UNIT 

हम जानते हैं कि, बीज एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पाद है। किसानों को उचित किस्म के बीज की आपूर्ति करना ही इस केन्द्र का मुख्य उद्देश है। बीज उत्पादन में बीज प्रसंस्करण एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस को ध्यान में रख कर कृषि विज्ञान केन्द्र, बिचपुरी, पर 04 मुख्य बीज संसाधन मशीनों का समयोजन करने एक बीज संसाधन प्रर्दशन इकाई की स्थापना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नयी दिल्ली द्वारा प्राप्त अनुदान रू. 732486.00 व भवन हेतु महाविद्यालय से प्राप्त राशि रू. 864998.00 से की गयी। इस संसाधन इकाई का उद्घाटन दिनांक 8 सितम्बर 2007 को तत्कालीन सहायक महानिदेशक कृशि प्रसार डा. पी. दास के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर वर्तमान उप महानिदेशक कृशि प्रसार भारतीय कृषि अनुसंधान परिशद, नयी दिल्ली डा. ए. के. सिंह भी मौजूद रहे। बीज प्रसंस्करण के लाभः 1. उचित आकार के बीज फसल में एकरूपता संभव बनाते हैं। 2. बीज की गुणवत्ता में सुधार करके बीज विपणन में सुधार होता है। 3. खरपतवार के बीज के प्रसार रूक जाता है। 4. बोने के समय से लेकर फसल बोने के समय तक भंडारण प्रदान करके एकसमान विपणन की सुविधा रहती है। 1. Air Screen Cleaner: यह सीड ग्रेडर / फाइन क्लीनर विभिन्न अनाज बीज, तेल बीज, दाल, सब्जी की सफाई और ग्रेडिंग के लिए भी उपयुक्त है। बीज, वानिकी के बीज, चारे की फसल के बीज आदि जैसे गेहूं, धान, मक्का, बाजरा, चना, सोयाबीन, सूरजमुखी, सरसों, तिल। ज्वार, जौ, कॉफी के बीज इत्यादि इसमें तीन दोलन स्क्रीन और 2 स्वतंत्र रूप से नियंत्रित वायु आकांक्षाएं हैं। यह हल्की अशुद्धियों जैसे धूल, चैफ, स्टेम फ्रैक्शन, अपरिपक्व और बेवेल किए गए अनाज / बीज और अन्य अंडरसाइड अशुद्धियों के दानों को हटा देगा। 2. Indented Cylindrical Separotor: इंडेंट सिलिंडर सेपरेटर का उपयोग गेहूं, जई, बारीक बीज, मसूर जैसी सभी दानेदार सामग्री की लंबाई के लिए किया जाता है, सूरजमुखी और बीट के बीजों से डंठल को अलग करने के लिए और अवांछित लंबे या छोटे उत्पाद की अशुद्धियों और मिश्रण को अलग करने के लिए। अनाज का आकार 1.0 मिमी और 24 मिमी के बीच भिन्न हो सकता है। 3. Gravity Sepaerator: ग्रेविटी सेपरेटर का उपयोग एक ही आकार के उत्पादों को अलग करने के लिए किया जाता है लेकिन विशिष्ट वजन में अंतर के साथ। अंतिम उत्पाद की अधिकतम गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आंशिक रूप से खाए गए, अपरिपक्व और टूटे हुए बीज को हटाने के लिए उन्हें प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है। उनका उपयोग कॉफी, मूंगफली, मक्का, मटर, चावल, गेहूं, तिल और अन्य खाद्य अनाज को अलग और मानकीकृत करने के लिए किया जा सकता है। Slurry Treater: बीज उपचार एक प्रक्रिया या विधि है, जिसमें पौधों को बीमारियों और कीटों से मुक्त रखने के लिए रसायन, जैव रसायन या ताप से उपचारित किया जाता हैं| पोषक तत्व स्थिरीकरण हेतु जीवाणु कलचर से भी बीज उपचार किया जाता है| यह मशीन तरल या घोल के रूप में कवकनाशी और कीटनाशकों के साथ विभिन्न फसलों के बीज के उपचार के लिए उपयुक्त है किसान अपना बिना प्रसंस्कृत बीज भी ला सकते हैं और 85 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान कर इसे संसाधित कर सकते हैं केवीके कृषि और किसानों को सरसों के बीज और बहुत ही कम कीमत पर उपलब्ध करा रहा है।

CONNEFERNCE HALL FACILITY

कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी पर 125 सीट का सुसज्जित वातानुकूलित सभागार है। यह सभागार पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम, एलसीडी, डिजीटल बोर्ड, डाइस, पोडियम व जैनरेटर सुविधाओं से युक्त है। केंद्र पर आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रमों हेतु इस सभागार का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा जिले स्तर पर होने वाले विभिन्न कृषि कार्यक्रमों के लिए इस सभागार का उपयोग किया जाता है। इसमें उत्तर प्रदेश कृषि विभाग आगरा, उत्तर प्रदेश कृषि रक्षा विभाग,आगरा, उत्तर प्रदेश जिला उद्यान विभाग, आगरा, पशुपालन विभाग, आगरा द्वारा विभिन्न प्रशिक्षण एवं कार्यक्रमों के लिए उपयोग हेतु उपलब्ध रहता है। किसी भी प्राइवेट एजेन्सीं हेतु रू. 3000/- की धनराशि जमा करना होता है।

WASTE DECOMPOSER FACILITY

जैविक खेती में "वेस्ट डीकम्पोज़र" का महत्वपूर्ण स्थान है। वेस्ट डीकम्पोज़र असल में यह देसी गाय के गोबर से प्राप्त सूक्ष्म जीवों का समूह है, जिसमें कार्बनिक पदार्थो के अपघटक सूक्ष्म जीव होते हैं। इसकी 30 ग्राम की बोतल की कीमत मात्र रू. 20/- है। इसे इसके निर्माता संस्थान राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र, गाजियाबाद से सीधे या कृषि विज्ञान केंद्र, बिचपुरी, राजा बलवंत सिंह कॉलेज, आगरा से मुफ्त प्राप्त किया जा सकता है। यहॉ तक कि एक बार किसान को इसकी उपलब्धता होने पर आजीवन खरीदने की आवश्यकता नहीं होती है। यह रसोई, कृषि और पशु आदि से उत्पन्न सभी प्रकार के कचरे को 30 से 40 दिन के भीतर त्वरित कम्पोस्ट (खाद) बनाने में सक्षम है।  इसका उपयोग किसान बीजोपचार, पर्णीय छिड़काव सिंचाई जल के साथ या फसल अवशेष को सडा़ने आदि में उपयोग कर अधिक लाभ कमा सकते हैं। वेस्ट डीकंपोजर का घोल बनाना भी बहुत आसान है। किसान इसे आसानी से खेत पर ही तैयार कर सकता है। घोल बनाने के लिए छायादार स्थान पर रखे 200 लीटर के प्लास्टिक के ड्रम में 2 से 3 किलो गुड़ को पानी में अच्छी तरह मिलाने के बाद उसे पूरा पानी से भर कर 1 बोतल वेस्ट डीकंपोजर लकड़ी की छड़ी से अच्छी तरह मिला देते हैं। इस प्लास्टिक ड्रम को गत्ते या मोटे कागज से ढककर 5 दिन तक रख देते हैं। प्रति दिन इसे एक या दो बार हिलाते हैं, जिससे यह अच्छी तरह से तैयार हो सकें। 5 दिनों में यह घोल उपयोग के लिए तैयार हो जाता है। इस प्रकार तैयार घोल से किसान बार-बार वेस्ट डीकंपोजर घोल तैयार कर सकते हैं। इसके लिए 20 लीटर वेस्ट डीकंपोजर घोल ड्रम में बचने पर उसमें 2 किलोग्राम गुड़ मिलाते है और पूरा ड्रम फिर पानी से भर देते हैं। वेस्ट डीकंपोजर घोल के लाभ: यह जैविक खेती बढ़ावा देने की सबसे महत्वपूर्ण विधि सिद्ध हो सकती है। पर्णीय छिड़काव के रूप में इसका उपयोग फसलों में विभिन्न प्रकार की जीवाणु, फफूंद और विषाणु जनित बीमारियों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करता है। किसान रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग किए बिना इसकी मदद से जैविक खेती कर सकते हैं। यदि खेत में वेस्ट डीकंपोजर का उपयोग किया जाता है, तो अलग से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस या पोटाश देने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। वेस्ट डीकंपोजर के उपयोग जड़ जनित रोगों को नियंत्रित करता है। आज वेस्ट डीकंपोजर एक जैविक हथियार के रूप में हमारी फसलों की सुरक्षा कीट व्याधियों से करने के साथ-साथ हर प्रकार से पोषण भी प्रदान करने में सक्षम है।

न्यूट्री-पोषण वाटिका का  मॉडल:

केन्द्र पर न्यूट्री-पोषण वाटिका का  मॉडल विकसित है जिसमें पूरे सप्ताह परिवार को ताजी सब्जियां मिल सकती हैं। इस प्रकार का मॉडल घर के आसपास छोटी जगह या  घर की छत पर बनाकर सही तरीके से सब्जियों की बुवाई कर दी जाये तो परिवार के 5-6 लोगों के लिए पूरे सप्ताह ताजी और कीटनाशक रहित सब्जियां मिल सकती हैं। यह वाटिका घर के आसपास थोड़ी सी जमीन या शहरों में घर की छत पर बना सकते हैं। पोषण वाटिका बनाना और अलग-अलग तरह की सब्जियां-फल खाना इसलिए भी जरुरी कि, हमारे शरीर के लिए आवश्यक संतुलित आहार का लंबे समय तक न मिलने से मनुष्य कुपोषण का शिकार हो जाता है। आहार और स्वास्थ्य में बहुत ही घनिष्ट संबंध होता है। फल एवं सब्जियां मानव आहार के मुख्य घटक हैं। स्वस्थ रहने के लिए एक व्यक्ति को रोज कम से+6[;.+ कम 250 ग्राम सब्जियां और 80 ग्राम फलों का सेवन करना जरूरी है। सामान्यतः 400 वर्गमीटर के क्षेत्रफल में यानि 20 मीटर लंबा एवं 20 मीटर चौड़ी जगह में गृह वाटिका के प्रेरणा मॉडल को बनाने के लिए पर्याप्त होती है। गृह वाटिका का प्रेरणा मॉडल गोलाकार क्षेत्रफल में बनाया जाता है। मॉडल बनाने के लिए केंद्र (बीच की जगह) से 3 फीट पर, 4.5 फीट पर, 6 फीट पर, 9 फीट पर 10.5 फीट और 15 फीट पर 6 गोले बनाए जाते हैं। इन चक्रों को 7 बराबर भागों में बाट दें। दो भागों के बीच से डेढ़ फीट का रास्ता अवश्य बनाए। केंद्र में चारों कोनों पर चार फलदार पेड़ व 3 फीट के गड्ढे में जैविक खाद या वर्मी कंपोस्ट बनाएं। छोटे बेड पर काम खाई जाने वाली सब्जियां या पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक मेथी, चौलाई आदि लगाए एवमं बड़े बेड पर अधिक मात्रा में प्रयोग होने वाली सब्जियां या फलदार सब्जियां जैसे आलू, टमाटर, बैगन, भिंडी आदि लगाएं। बेड के किनारों की मेड़ पर जड़वाली सब्जियां जैसे मूली, गाजर, शलजम लगाएं। परिवार को बीमारियों से बचाने के लिए सब्जियों पर लगने वाले कीट-पतंगों और रोगों से बचाव के लिए बाजार के रायासनिक कीटनाशक की जगह घर पर नीम की पत्तियों के रस का छिड़काव करना चाहिए।

Administrative Building

The bulding fund was released by ICAR Rs 26,12,107.00. The plinth area of the building is 600 sq m it is completated in July 2005 and inaugurated by Dr Mangala Rai DG ICAR.

Threshing floor

Constructed by the Fund released by ICAR during the year 2008 and the amount was 1 lac.

Moter cycle

KVK has one Motor cycle faacilty also. It is puchaged for the farmer field visits. Fund of this is released by ICAR during 2012 Rs. 60000.00.

 Information Technology Unit [ITU]

This unit is established in 2017 funded by ICAR, New Delhi [Rs. 8.00 lac ] well-furnished and equipped with One Sony Digital Camera, 02 Air Conditioners, 55’ Sony LED TV, DVD player, 650 VA Inverter, 02 LED board etc.

Information Computer Laboratory  [ICT]

This unit is established in 2017 funded by ICAR, New Delhi [Rs.3.00 lac] well-furnished and equipped with 03 Desktop and one Laptop, 01 HP printer and 01 Air Conditioners.

Vedio Camara

KVK Agra has a facility of SONY vedio camara science 2012. Funded by ICAR Rs. 25,000.00

 Digital Camara facility

KVK Agra has a facility of 02 SONY camara since 2007/2012. Funded by ICAR Rs. 10000.00/25,000.00

 LCD / LCD Screen

KVK Agra has a facility of LCD since 2007 and 2 LCD Screens. Funded by ICAR Rs. 90000.00.

BOLERO JEEP

New A/C bolero Jeep funded by ICAR Rs 8.98000.00 during the year 2016. It is in good condition done 127000 km.

Tractor and other farm equipments

KVK Farm has a tractor Messy Furguson 1035 funded by ICAR in 2006 Rs. 4,99,966.61 done 3600 hours. All the nessesary farm equipments like Harrow, Cultivator, Seed drill, leveler, trolly etc.

 Generator Facility

10 KV silent generator facility is available at KVK for power supply.

 Tubewell facility

15 hp submersible tube well facility is available at kvk farm for supply water to crops and orchads.

 Internet

Wi-fi facility with 4 Mbps speed 18 mts tower

Contact details: Dr Rajendra Singh Chauhan, Sr Scientist cum Head, 

Email Id: kvkagra2002@gmail.com, 

Contact No.: +91-9412373128, 8433032225